ग्लौकस एग्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड के साथ "आईसीएआर-सिफ़री आर्गक्युर" के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया

सिफ़री आर्गक्युर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण लाइसेंस समझौते पर डॉ. बि.के.दास, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता और श्री सरीफुल इस्लाम, प्रबंध निदेशक, ग्लौकस एग्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता द्वारा 7 जुलाई 2021 को डॉ.जे.के.जेना, उप महानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान), आईसीएआर और डॉ.सुधा मैसूर, सीईओ, एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली की उपस्थिति में हस्ताक्षर किया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण दिशानिर्देशों के अनुसार, सिफ़री आर्गक्युर प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण को एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड (भारत सरकार का एक उद्यम) और विनिर्माण और बिक्री को सुगम बनाने के लिए ग्लौकस एग्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता को 5 साल के लिए प्रौद्योगिकी लाइसेंस हस्तांतरित किया जा रहा है। डॉ. बि.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप- केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने सभी मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और अर्गुलस परजीवी के नियंत्रण में इस्तेमाल की जाने वाली क्रांतिकारी तकनीक "सिफ़री आर्गक्युर" के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह उत्पाद 5 साल के कठोर शोधकार्य और 2 साल के फील्ड परीक्षण के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तीन सफल व्यावसायिक तकनीकों सिफ़री जीआई केज (CIFRI GI CAGE), सिफ़री एचडीपीई पेन (CIFRI PEN HDPE) और सिफ़री केज ग्रो (CIFRI Cage Grow) फिश फीड के बाद भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, द्वारा सिफ़री आर्गक्युर (CIFRI Argcure) का व्यावसायीकरण किया जा रहा है।
डॉ.जे.के.जेना, उप महानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान), आईसीएआर और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में टिप्पणी की कि मछली के जीवाणु और वायरल रोग के नियंत्रण के लिए कई उत्पाद उपलब्ध हैं क्योंकि इन रोगजनकों पर तत्काल ध्यान दिया जाना जरूरी है। लोग परजीवी रोग पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं क्योंकि वे घातक नहीं होते हैं। हमारे शोध अध्ययन से पता चलता है कि परजीवी रोग के हमले के कारण रू. 30000-75000/हेक्टेयर का नुकसान होता है, जो काफी महत्वपूर्ण है। सिफ़री आर्गक्युर (CIFRI ARGCURE) निश्चित रूप से अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में इस परजीवी प्रकोप से राहत प्रदान करेगा। उन्होंने फॉर्मूलेशन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा मुद्दों पर भी जोर दिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्होनें संस्थान के टीम के सदस्यों और श्री सरीफुल इस्लाम, एमडी, ग्लौकस एग्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड को बधाई दी।
डॉ. सुधा मैसूर, सीईओ, एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड ने अपने संबोधन में कहा कि महामारी की स्थिति के कारण हम हस्ताक्षर समारोह में शारीरिक रूप से शामिल नहीं हो सके, जिसका उन्हें खेद हैं। उन्होनें इस प्रयास के लिए सिफ़री के टीम को बधाई दिया और इस तकनीक की बड़ी सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएँ दी।
डॉ. बी. पी. मोहंती, सहायक महा निदेशक (अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी), भाकृअनुप ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि अर्गुलस एक बड़ी समस्या है। यह तकनीक नैनो फॉर्मूलेशन के माध्यम से विकसित हुई है और अर्गुलस नियंत्रण में बहुत प्रभावी हैं । उन्होनें उम्मीद की कि मत्स्य पालन क्षेत्र में इस उत्पाद की मांग काफी ज्यादा होगी। श्री सरीफुल इस्लाम, प्रबंध निदेशक, ग्लौकस एग्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता ने यह अवसर प्रदान करने के लिए भाकृअनुप- केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर को धन्यवाद दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान के साथ यह साझेदारी भविष्य में भी प्रयासरत रहेगी और जारी रहेगी।
अंत में धन्यवाद प्रस्ताव श्री गणेश चंद्र, प्रभारी, संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई, भाकृअनुप- केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर द्वारा प्रस्तुत किया गया।
“सिफरी आर्गक्युर”
जलीय कृषि और मत्स्य पालन में परजीवी समस्या का प्रबंधन करने के लिए, भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने सिंथेटिक और प्राकृतिक पॉलिमर का उपयोग करते हुए नैनोमिसेलाल पद्धति से सिफ़री आर्गक्युर (CIFRI-ARGCURE®) नामक एक अभिनव तकनीकी विकसित किया है। प्रायोगिक परिणामों से पता चलता है कि सिफ़री आर्गक्युर (CIFRI-ARGCURE®) पारंपरिक फॉर्मूलेशन की तुलना में कम परिमाण का इस्तेमाल कर मछली परजीवी अर्गुलस बेंगालेंसिस (Argulus bengalensis) को नियंत्रित करने में प्रभावी है। यह भी पाया गया कि सिफ़री आर्गक्युर (CIFRI-ARGCURE®) के प्रयोग से परजीवी की हैचिंग प्रक्रिया बाधित होती है। फील्ड के मूल्यांकन से पता चला है कि सिफ़री आर्गक्युर (CIFRI-ARGCURE®) ने वहाँ की स्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है और जल निकायों को लंबे समय तक परजीवी मुक्त रखा हैं। वर्तमान नैनो-तकनीकी हस्तक्षेपों के माध्यम से मछली परजीवियों के खिलाफ एंटीपैरासिटिक अणुओं का बेहतर प्रदर्शन रहा और अनुप्रयोग खुराक को कम करके खाद्य और पर्यावरण सुरक्षा में सुधार लाया जा सकता है।


  
  


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2017 Last updated on 03/04/2021