संस्थान में एनएफडीबी प्रायोजित "अन्तर्स्थलीय खुले पानी में केज कल्चर" पर व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

एनक्लोजर कल्चर सिस्टम में संसाधनों की विशालता के कारण भारतीय जलाशयों (3.51 मिलियन हेक्टेयर) और आर्द्रभूमि (0.5 मिलियन हेक्टेयर) में मछली उत्पादन को बढ़ाने की काफी क्षमता है। संस्थान ने अन्तर्स्थलीय खुले पानी के लिए केज प्रौद्योगिकी का मानकीकरण और प्रदर्शन किया है, जिससे देश के 16 से अधिक राज्यों के सरकारों ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 'मिशन मोड' के तौर पर व्यापक रूप से अपनाया है। पिंजरों का उपयोग (सीटू में) मछली के अंगुलिमीनों के साथ-साथ टेबल फिश के उत्पादन, भूमि आधारित खेती पर निर्भरता को कम करने के अलावा प्रति यूनिट मछली उत्पादकता और जलाशयों और आर्द्रभूमि से उत्पादन में सुधार के लिए किया जा सकता है। हालांकि हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए और इस तकनीक को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए प्रशिक्षित जनता की कमी है। इस संदर्भ में, संस्थान द्वारा एनएफडीबी प्रायोजित 15-17 दिसंबर, 2021 के दौरान ''अन्तर्स्थलीय खुले पानी में (मीठे पानी) केज कल्चर पर मछुआरों की क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण'' पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने प्रशिक्षुओं को किसानों की आय दोगुनी करने के संदर्भ में भारत में पिंजरा पालन से संबंधित स्थिति, क्षमता और मुद्दों पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण अवधि का उपयोग ज्ञान और कौशल को इकट्ठा करने के अलावा वास्तविक हितधारकों तक प्रसारित करना चाहिए- ऐसा उन्होंने आग्रह किया। डॉ. एम.ए. हसन, प्रमुख, फेम डिवीजन और डॉ. ए.के. दास, प्रभारी, प्रशिक्षण एवं विस्तार कक्ष ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षुओं का स्वागत किया, जिसमें पश्चिम बंगाल के मत्स्य पालन क्षेत्र में काम करने वाले किसानों, उद्यमियों, युवाओं सहित 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षुओं को पिंजड़े की खेती के विभिन्न पहलुओं पर आंतरिक व्याख्याओं के अलावा माईथॉन जलाशय झारखंड में केज कल्चर के ऑन-फील्ड प्रदर्शन से अवगत कराया गया। समापन कार्यक्रम पर अपना वक्तव्य देते हुए, श्री श्रीकांत महतो जी, माननीय एमएसएमई मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार, ने प्रशिक्षुओं को अपने भविष्य के प्रयास में कार्यक्रम के दौरान प्राप्त ज्ञान और कौशल का उपयोग करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ. एम. ए. हसन, प्रमुख, फेम डिवीजन और डॉ. ए. के. दास, प्रभारी, प्रशिक्षण एवं विस्तार कक्ष द्वारा अच्छी तरह से समन्वयित किया गया।

  


  


  



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