भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर में "आंध्र प्रदेश में घेरे में मछली पालन तकनीक द्वारा बड़े जलाशयों में मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन” पर इंटरफेस मीटिंग

भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर में " आंध्र प्रदेश में घेरे में मछली पालन तकनीक द्वारा बड़े जलाशयों में मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन” पर इंटरफेस मीटिंग भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर में डॉ (श्रीमती) पूनम मलकोंडैया, आईएएस, विशेष मुख्य सचिव, कृषि और सहकारिता, पशुपालन, डेयरी और मात्स्यिकी, आंध्र प्रदेश सरकार तथा श्री के कन्ना बाबू, आईएएस, आयुक्त, मात्स्यिकी, आंध्र प्रदेश सरकार ने दिनांक 8 जनवरी 2022 को संस्थान का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं और प्रयोगशालाओं का निरीक्षण किया तथा निदेशक और संस्थान सदस्यों के साथ बातचीत की।
इस अवसर पर एक बैठक बुलाई गई जिसमें डॉ. बि. के. दास, निदेशक ने मुख्य अतिथि डॉ (श्रीमती) पूनम मलकोंडैया, आईएएस, विशेष मुख्य सचिव, और विशिष्ट अतिथि श्री के कन्ना बाबू, आईएएस, मत्स्य पालन आयुक्त, आंध्र प्रदेश सरकार का स्वागत किया और संस्थान की गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति द्वारा मछली उत्पादन और जलीय कृषि के लिए उद्यमिता आधारित मॉडल विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। विशेष मुख्य सचिव, डॉ. पूनम मालाकोंडाय्या, आईएएस ने आंध्र प्रदेश राज्य की मात्स्यिकी गतिविधियों और उद्यम जैसे राज्य विश्वविद्यालयों के सहयोग से किसान क्षेत्र के स्कूलों और पश्चिम गोदावरी जिले में मत्स्य विश्वविद्यालय की स्थापना के बारे में बताया। उन्होंने आंध्र प्रदेश में मत्स्य पालन के लिए दो प्रमुख क्षेत्रों, जैसे सतत मत्स्य पालन तकनीकों पर मछुआरों का प्रशिक्षण और उपज की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया। श्री. के. कन्ना बाबू, आईएएस, आयुक्त ने आंध्र प्रदेश के जलाशयों में पिंजरा पालन को बढ़ावा देने के लिए संस्थान के साथ भावी साझेदारी की संभावना पर प्रकाश डाला। उन्होंने सजावटी मछली पालन और जीवित मछलियों के परिवहन के समय घटित मृत्यु दर को कम करने में संस्थान के तकनीकों को साझा करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि हालांकि आंध्र प्रदेश राज्य जलीय कृषि उत्पादन में अग्रणी है पर यहाँ मछलियों की घरेलू खपत कम है।
संस्थान के निदेशक, डॉ. बि. के. दास ने भारत के अंतर्स्थलीय मत्स्य संसाधनों और विभिन्न जल निकायों में संस्थान द्वारा संचालित अनुसंधान गतिविधियों पर प्रस्तुति दी। उन्होंने पिंजरे में मछली पालन और उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ भारतीय जलाशयों में उनकी उत्पादन क्षमता के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि आंध्र प्रदेश में पालन आधारित मत्स्य प्रबंधन को अपनाने के साथ बड़े और मध्यम जलाशयों की अनुमानित उत्पादन क्षमता क्रमशः 7449 टन और 4411 टन है। उन्होंने पिंजरे में मछली पालन और जलाशयों में उनकी स्थापना के लिए दिशा-निर्देशों के बारे में बताया और सिफ़री जीआई केज, सिफ़री केजग्रो फीड और सिफ़री पेन एचडीपीई पर भी चर्चा की। उन्होंने पिंजरे में मछली पालन में प्रजाति विविधीकरण और उपयुक्त प्रजातियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस दिशा में सिफ़री आंध्र प्रदेश सरकार के मछली उत्पादन में वृद्धि सहित मूल्य श्रृंखला विकास में तकनीकी सहायता प्रदान कर सकता है। डॉ. पूनम मालाकोंडाय्या, विशेष मुख्य सचिव ने आंध्र प्रदेश में अंतर्स्थलीय मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए संस्थान के साथ स्थायी साझेदारी पर जोर दिया। बैठक का समापन डॉ . यू. के. सरकार, प्रभागाध्यक्ष, जलाशय एवं आर्द्रक्षेत्र मात्स्यिकी प्रभाग के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


  

  

  




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