9 फरवरी, 2022 को भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी ने 'मत्स्य पालन से जुड़े हितधारकों के लिए पीएमएमएसवाई योजना पर अभिविन्यास' नामक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया

भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी ने हीरागोटा-रोवमारी-दिघाली बील, कामरूप जिला, असम में 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) ‘ पर मात्स्यिकी से जुड़े हितधारकों के लिए अभिविन्यास' नामक एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित किया गया था। दिन भर चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 50 अनुसूचित जाति के मछुआरों और किसानों (युवाओं और महिलाओं सहित) ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास, और क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के प्रमुख (कार्यवाहक), और कार्यक्रम संयोजक डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, के समग्र मार्गदर्शन में किया गया था। इसका संचालन केंद्र के वैज्ञानिक श्री ए.के. यादव, डॉ. प्रणब दास और डॉ. एस.बोराह ने किया।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. एस. बोराह ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने अन्तर्स्थलीय जल निकायों के लिए संलग्नक कल्चर के प्रौद्योगिकियों पर एक व्याख्यान दिया। डॉ. पी. दास ने अन्तर्स्थलीय खुले जल प्रणालियों में मत्स्य पालन बढ़ाने के विकल्प और अन्तर्स्थलीय जलीय कृषि के प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया। श्री ए. के. यादव ने अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन के लिए पीएमएमएसवाई योजनाओं के अवलोकन पर एक व्याख्यान दिया । इस अवसर पर, आजीविका और पोषण सुरक्षा के लिए आर्द्रभूमि में छोटे पैमाने पर मत्स्य पालन पर विंडो -3 के तहत आईसीएआर- वर्ल्डफिश सहयोगी परियोजना के तहत 'आर्द्रभूमि से जलवायु अनुरूप पोषक-मछली का सतत उत्पादन' विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
आयोजन समिति की ओर से सह-संगठन सचिव डॉ. प्रणब दास ने संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के.दास, को उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए और क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के प्रमुख (कार्यवाहक) डॉ. बी. के. भट्टाचार्य को हार्दिक धन्यवाद दिया। गुवाहाटी में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक प्रायोजित करने के लिए मैनेज, हैदराबाद और एएफडीसी के अधिकारियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

  



09/02/22 को अद्यतन किया गया


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