सिफरी ने "नदीय पारिस्थितिकी एवं मात्स्यिकी में मानवजनित हस्तक्षेप का प्रभाव" पर एक वेबिनार का आयोजन किया

भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने दिनांक 17 फरवरी, 2022 को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद द्वारा प्रायोजित " नदीय पारिस्थितिकी एवं मात्स्यिकी में मानवजनित हस्तक्षेप का प्रभाव" पर एक-दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार का उद्देश्य नदियों की सतत पारिस्थितिकी और मात्स्यिकी के पुनरुद्धार हेतु रणनीति का विकास करना है। इस वेबिनार में महत्वपूर्ण संगठनों और मंत्रालयों जैसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) और सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), जल शक्ति मंत्रालय, नई दिल्ली के प्रतिनिधि तथा विभिन्न राज्यों के मत्स्य विभाग के अधिकारी, विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के शोधकर्ता सहित 100 लोगों ने भाग लिया। वेबिनार का शुभारंभ संस्थान के निदेशक, डॉ. बि.के. दास के स्वागत सम्बोधन के साथ किया गया। डॉ. दास ने गंगा नदी में वर्तमान मत्स्य विविधता और मछली प्रजातियों के संरक्षण और पुनरुद्धार की दिशा में सिफरी के प्रयासों गतिविधियों पर जोर दिया। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सलाहकार डॉ. एस. कारकेटा ने सतत लक्ष्य-15 (Sustainable Goal-15) के तहत जैव विविधता संरक्षण की भूमिका, जैव विविधता संरक्षण में नदी घाटी परियोजनाओं का महत्व तथा सतत मत्स्य पालन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विज्ञान आधारित नीति विकास पर प्रकाश डाला। डॉ. एन.एन. राय, निदेशक, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने नदी पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता संरक्षण में पर्यावरण प्रवाह पर ध्यानाकर्षण के साथ नदी जल धारा परिवर्तन में बांधों और बैराजों की भूमिका पर एक व्याख्यान दिया। डॉ. संदीप कुमार बेहरा, जैव विविधता सलाहकार, एनएमसीजी ने गंगा नदी तंत्र से जुड़े विभिन्न खतरों और गंगा के नदीय हिस्सों के पुनरुद्धार हेतु राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पहल पर प्रकाश डाला। डॉ. बेहरा ने एनएमसीजी के तहत संस्थान के गतिविधियों की सराहना की और स्थानीय हितधारकों की भागीदारी पर जोर दिया। डॉ. हेमंत भरवानी, वैज्ञानिक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण अभि‍यांत्रिकी अनुसंधान संस्‍थान (नीरी), नागपूर ने नीरी द्वारा विकसित दो प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला, जो पारिस्थितिक इकाइयों (आरईएनईयू) के साथ नालों का पुनरुद्धार और प्राकृतिक बायोरेमेडिएशन पर आधारित फाइटोरिड तकनीक के माध्यम से निष्क्रिय और प्रदूषित नदी और झील पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करते हैं। डॉ. हेमंत ने कहा कि ये दोनों प्रौद्योगिकियों का विशेष रूप से गंगा नदी पुनरुद्धार में सकारात्मक प्रभाव रहा हैं। डॉ. एस. सामंता, प्रभागाध्यक्ष, सिफरी ने भारतीय नदियों में मानवजनित हस्तक्षेप पर प्रकाश डाला।

  



18/02/22 को अद्यतन किया गया


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