सिफ़री द्वारा पारिस्थितिक आधारित एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन हेतु फील्ड प्रशिक्षण

भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री) ने दिनांक 18 फरवरी, 2022 को पारिस्थितिकी तंत्र आधारित एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए नदिया जिले के हरिंगहाटा (पश्चिम बंगाल) में स्थित खलसी बील एक फील्ड प्रशिक्षण (फिशर फील्ड स्कूल) का आयोजन किया। इस प्रकार का प्रशिक्षण विश्व खाद्य संगठन (एफएओ) के फार्मर फील्ड स्कूल सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें मूल तौर पर समूह-आधारित वयस्क मछुआरों और किसानों को कृषि में आने वाली समस्याओं को स्वयं हल करने के लिए प्रशिक्षित करता है। इस प्रशिक्षण के लिए मछुआरा समुदाय की चालीस महिला लाभार्थियों को दो पारस्परिक संवादात्मक प्रशिक्षण के लिए चुना गया था।
सिफ़री ने मछुआरा समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति उन्नयन हेतु बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा प्रायोजित सामाजिक क्षेत्र परियोजना और अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत खालसी बील को अपनाया है। इसके अंतर्गत मछुआरा समुदाय के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए पेन में मछली पालन, सजावटी मछली पालन, घरेलू तौर पर मुर्गी पालन एवं बागवानी तथा मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे इस मछुआरों की आय वृद्धि की जा सके। सिफ़री के निदेशक, डॉ. बि. के. दास ने मछुआरों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने की दिशा में खलसी बील में फिशर फील्ड स्कूल के लिए एक बहु-विषयक वैज्ञानिक टीम बनाया है, जिसका उद्देश्य बील मात्स्यिकी पर निर्भरशील मछुआरा समुदाय की आजीविका में सुधार करना है। इस टीम में सिफ़री से डा. अरुण पंडित, डा. ए. के. बेरा, डा. अपर्णा राय और डा. दिबाकर भक्त तथा विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, नदिया, पश्चिम बंगाल से डा. पिंटू बंदोपाध्याय और डा. संचिता मंडल हैं।
इस फील्ड प्रशिक्षण के साथ "लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से आर्द्रभूमि पर निर्भर समुदाय की महिलाओं का सशक्तिकरण" पर एक ऑफ कैंपस प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में कुल 77 महिलाओं और 35 मछुआरों ने भाग लिया।

  



22/02/22 को अद्यतन किया गया


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