पहाड़ी क्षेत्र में मात्स्यिकी विकास और मछुआरों की आजीविका को मजबूत करने के लिए आईसीएआर- सिफ़री द्वारा लिया गया पहल

पहाड़ी क्षेत्र के छोटे और सीमांत मछली किसानों के पास घर के पिछवाड़े छोटे तालाब हैं। मछली पालन पर तकनीकी सहायता और बुनियादी ज्ञान की कमी के कारण, वे अपने तालाबों में बहुत कम मात्रा में ही मछली पैदा कर पाते हैं। इन तालाबों में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए, उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करके उनकी आजीविका में सुधार के लिए, अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के तहत आईसीएआर-सिफ़री द्वारा "पहाड़ी मत्स्य विकास के विशेष संदर्भ के साथ अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन" पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक ने 22 फरवरी 2022 को किया था और यह कार्यक्रम 26 फरवरी, 2022 तक जारी रहेगा। इस 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिलें के मिरिक ब्लॉक के कुल 20 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। उनमें से 2 महिलाएं थीं। संस्थान के निदेशक डॉ. बि .के. दास ने किसानों के साथ बातचीत की और उन्हें प्रशिक्षण का पूरा लाभ लेने के लिए प्रेरित किया और उन्हें संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ मछली पालन में उनके विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कुछ प्रशिक्षुओं के प्रश्नों के उत्तर में वैज्ञानिक सलाह भी प्रदान की। इस प्रशिक्षण से पहले, निदेशक महोदय के नेतृत्व में संस्थान की एक टीम द्वारा मिरिक में पहाड़ी मछली किसानों के साथ एक प्रारंभिक क्षेत्र का दौरा और चर्चा की गई थी। उन्होंने मछुआरों को मध्यम मान की ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्र में मछली पालन के वैज्ञानिक तरीके से अवगत कराया। साथ ही, उस कार्यक्रम के दौरान 100 मछली किसानों को अमूर कार्प और ग्रास कार्प के मछली बीज और मछली का चारा वितरित किया गया। चूंकि ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त जलीय कृषि पद्धतियों पर बुनियादी ज्ञान की कमी हैं, इस कारण किसान मछली पालन के लिए समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस प्रशिक्षण में पहाड़ी मत्स्य विकास के विभिन्न पहलुओं पर उनका ज्ञान विकसित किया जाएगा जैसे पहाड़ी मत्स्य पालन के लिए एकीकृत विकास की गुंजाइश, अमूर कार्प मछली का प्रजनन, कॉमन कार्प, ग्रास कार्प, मछली पालन में सामान्य रोग और उपचार, मछली चारा प्रबंधन और तैयारी, पहाड़ी क्षेत्र में अन्तर्स्थलीय मछली प्रबंधन, प्राकृतिक मछली खाद्य पदार्थ और उनका महत्व और सजावटी मछलियों का प्रबंधन। साथ ही, उन्हें संस्थान की सुविधाओं जैसे हैचरी, सजावटी प्रजनन, मछली फ़ीड और बायो-फ्लोक इकाई से भी अवगत कराया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारहों में डॉ. ए. के. दास और डॉ. ए. रॉय भी उपस्थित थे और उन्होंने मछली किसानों से बातचीत की। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन डॉ. पी.के. परिदा, डॉ. लियांथुमलुआ, श्रीमती पी.आर. स्वैन और श्री मितेश रामटेके ने मिलकर किया।

  


25/02/22 को अद्यतन किया गया


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