और इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में उनके साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे, जैसे - श्री एच. डिंगो सिंह, माननीय मंत्री (मत्स्य पालन); श्री एम.असनीकुमार सिंह, माननीय अध्यक्ष, लोकतक विकास प्राधिकरण; श्री टी. रोबिन्द्रो, माननीय विधायक, थंगा ए/सी; श्री के. रोबिन्द्रो, माननीय विधायक, मायांग इम्फाल ए/सी; श्री एल. रामेश्वर सिंह, माननीय विधायक, केइराव ए/सी; श्री टी. शांति सिंह, माननीय विधायक, मोइरंग ए/सी, सिफ़री के निदेशक डॉ. बि. के. दास, और श्री एच. बालकृष्ण सिंह, मणिपुर मत्स्य पालन निदेशालय के निदेशक। माननीय मुख्यमंत्री श्री एन. बीरेन सिंह ने आईसीएआर-सिफ़री की इस पहल की सराहना की। उन्होंने राज्य के नागरिकों से बिजली के माध्यम से मछली पकड़ने, छोटे जालीदार जाल से मछली पकड़ने से मना किया, और लोकतक झील को बचाने की अपील की और उपस्थित दर्शकों के सामने घोषणा की कि
मणिपुर सरकार पेंगबा के संरक्षण और लोकतक मछुआरों की आजीविका बढ़ाने के लिए लोकतक झील में एक करोड़ मछली के बीज छोड़ेगा। माननीय मुख्यमंत्री ने लोकतक झील में पाए जाने वाले मछलियों की सूची वाला एक पोस्टर, मणिपुरी भाषा में ‘लोकतक झील में स्थायी रूप से पेंगबा का पालन’, ‘खुले जल निकायों के प्रबंधन’ पर जानकारी वाले तीन पत्रक का विमोचन किया। माननीय मुख्यमंत्री ने आईसीएआर-सिफ़री द्वारा प्रदान किए गए इनपुट के रूप में 10 टन सिफ़री केजग्रो फ्लोटिंग फीड, 10 केज नेट, 10 सिफ़री एचडीपीई पेन को 4 सहकारी समितियों के 150 लाभार्थियों के बीच वितरित किए।
श्री एच. डिंगो सिंह, मणिपुर के माननीय मत्स्य पालन मंत्री ने मछुआरों से झील के सतत उपयोग के लिए जिम्मेदार होने का आग्रह किया और राज्य के मत्स्य विकास के लिए विकासात्मक गतिविधियों को शुरू करने का वादा किया। श्री असनीकुमार ने लोकतक झील की पारिस्थितिकी के संरक्षण में एलडीए की भूमिका पर अपनी बात रखी। इससे पहले अपने स्वागत भाषण में सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने झील में पेंगबा पालन के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने दर्शकों को राज्य में सिफ़री के हस्तक्षेप के बारे में जानकारी दी। संस्थान ने राज्य की महत्वपूर्ण नदियों और आर्द्रभूमि के मत्स्य पालन और पारिस्थितिकी पर अध्ययन किया।
हाल के अध्ययनों में, लोकतक झील से 35 मछली प्रजातियों की सूचना मिली जो 2004 में प्राप्त 54 प्रजातियों से कम थी। सिफ़री ने 2012 से तकमू पाट में पेन कल्चर प्रदर्शन किया और इस तकनीक को अपनाने से मछुआरों की आय में 47% की वृद्धि हुई। 2020-21 के दौरान तकमू पाट में सिफ़री द्वारा पहली बार पेंगबा की केज कल्चर का भी प्रदर्शन किया गया।
यह कार्यक्रम मत्स्य पालन विभाग, मणिपुर और लोकतक विकास प्राधिकरण (एलडीए) के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के दो स्थलों सेंद्रा और करंग द्वीप से लोकतक झील में एक लाख पेंगबा छोड़े गए। पेंगबा उत्तर पूर्व भारत के मणिपुर, म्यांमार और चीन के युनान प्रांतों में प्राप्त होने वाली एक निकट संकटग्रस्त मध्यम कार्प है।

