सिफ़री द्वारा कुलतली के पांच सौ अनुसूचित जाति के मत्स्य पालकों की आजीविका में सुधार
21 मई, 2022
भारत के प्रसिद्ध सुंदरबन इलाके के लोग अपनी आजीविका के लिए मत्स्य पालन पर निर्भरशील हैं और लगातार विशाल चक्रवातों और ज्वार-भाटा से जूझते हुए हमेशा ही अत्यधिक दबाव में रहते है। इनकी परेशानियों को दूर करने के लिए, सिफ़री अपने एससीएसपी/टीएसपी विकास कार्यक्रमों के तहत विभिन्न तकनीकी इनपुट प्रदान कर, इन्हें मदद कर रहा हैं। सिफ़री के निदेशक डॉ. बि. के. दास की अनुप्रेरणा से कुलतली, दक्षिण 24 परगना में 19 से 21 मई 2022 के दौरान एक जन जागरूकता कार्यक्रम के साथ तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया । पहले दिन तकनीकी टीम ने उत्तरमोकाम्बेरिया और चोरदाकट गांव का दौरा किया और 17 मत्स्य पालकों के साथ चर्चा की और तालाब के पानी की गुणवत्ता और मछली के नमूनों का परीक्षण किया। उन्होंने उनके साथ उनकी सांस्कृतिक रीति-रिवाजों, मत्स्य पालन के तकनीकों और बाधाओं के बारे में विस्तारित बातचीत की और वैज्ञानिक सलाह प्रदान की। इसके अलावा, उत्तरमोकाम्बेरिया गांव में, 12 सजावटी लाभार्थियों के साथ चर्चा की गई और सजावटी मछली पालन और विपणन के लिए कैनिंग शहर की सजावटी मछली की दुकानों से उनका परिचय करवाया गया। दूसरे दिन (20 मई, 2022) कुलतली मिलन तीर्थ सोसाइटी के सहयोग से कुलटोली, दक्षिण 24 परगना में एक जन जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दो सीडी ब्लॉक (गोसाबा और बसंती) के 14 ग्राम पंचायतों की 32 बस्तियों के लगभग 500 मत्स्य कृषकों ने भाग लिया। सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने जन जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया और अपने भाषण में उन्होंने किसानों को उनकी आय के साथ-साथ आजीविका बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक मछली पालन के माध्यम से परित्यक्त जलाशयों, पिछवाड़े के तालाबों और सजावटी मछली पालन को अपनाने की सलाह दी। मत्स्य कृषकों ने उनसे बात करके मछली पालन और मछली स्वास्थ्य प्रबंधन पर अपने समस्यायों को सुलझाया। डॉ. दास ने उन्हें लाभ की राशि का एक हिस्सा बचाके अगले साल निवेश के रूप में उपयोग करने की भी सलाह दी।

उन्होंने कुलतली के महिला सजावटी मछुआरों को, बाजार की मांग, सजावटी मछलियों के प्रजनन, विपणन और एक्वैरियम के सामान को ध्यान में रखकर काम करने की सलाह दी। कुलतली मिलन तीर्थ सोसाइटी के श्री लोकमन मोल्ला ने सुंदरबन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लाभार्थियों को शामिल करते हुए, उनकी आजीविका के उत्थान के लिए सिफ़री द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की, जो अपने आप में अद्वितीय है। सिफ़री के एससीएसपी के नोडल अधिकारी डॉ. पी.के.परिदा ने भी वैज्ञानिक मछली पालन पर एक प्रस्तुति दी और संक्षेप में बताया कि इन बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल मछुआरों को क्या-क्या लाभ होगा। इस कार्यक्रम के दौरान सजावटी मत्स्य पालन पर एक पुस्तक, और खाद्य भी महिला सजावटी मछुआरों को वितरित की गई। अंतिम दिन यानी 21 मई 2022 को सिफ़री ने पोचापारा और झारखली गांवों के 20 मछली किसानों और सोनाखली गांवों के 12 सजावटी मछुआरों के साथ बातचीत की।

इन तीन दिनों के कार्यक्रम के दौरान मत्स्य कृषकों ने सिफ़री द्वारा की गई मदद की सराहना की और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने कौशल को और उन्नत करने की इच्छा भी व्यक्त किया। माननीय प्रधान मंत्री के सपने "किसानों की आय हो दोगुना" को साकार करने के उद्देश्य से, सिफ़री पिछले नवंबर कार्यरत है । एक साल में इस क्षेत्र के 500 मछुआरों के समूह में 32 लाख के इनपुट के बदले रु. 2.0 करोड़ रुपये लाभ ही सिफ़री का महान उद्देश्य हैं। यह देखा गया है कि 6 महीने के भीतर लगभग 70 लाख (लगभग दोगुनी आय) उत्पन्न करने में सिफ़री सक्षम हुआ हैं।
कार्यक्रम का समन्वय और प्रबंधन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, सिफ़री के श्री सुजीत चौधरी, डॉ. ए. साहा, और डॉ. श्रेया भट्टाचार्य और मिलन तीर्थ सोसाइटी के कर्मचारियों द्वारा किया गया।




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