सुंदरबन के मछुआरों का सतत विकास
19 जून, 2022
दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा क्षेत्र "सुंदरबन" को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा चक्रवात का केंद्र स्थल भी माना गया हैं। 1.5 वर्षों की अवधि में यहाँ के निवासियों ने लगातार दो चक्रवात (जावद और यास ) देखे हैं। यह कई लुप्तप्राय जानवरों जैसे रॉयल बंगाल टाइगर, इरावदी डॉल्फ़िन, खारे पानी के मगरमच्छ आदि के साथ-साथ लगभग 3 मिलियन लोगों का घर भी हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका और अन्य आवश्यकताओं के लिए इस पर निर्भरशील हैं। अत्यधिक प्राकृतिक आपदाएँ जैसे चक्रवात, तूफान की लहरें, विशाल ज्वार-भाटा और खारे पानी की घुसपैठ उनकी आजीविका और सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन शैली पर बड़ा कहर ढा रही है। यहाँ के निवासी मूल रूप से प्रोटीन के प्रमुख स्रोत के लिए मछली और मुख्य भोजन के रूप में चावल पर निर्भर करते हैं। यही कारण है कि मछली उनके जीवन और आजीविका का एक अभिन्न अंग है। इस क्षेत्र के प्रत्येक घर के पीछे एक छोटा तालाब है जिसमें मुख्य रूप से चावल और मछली पालन होता हैं, जिसका बड़ा हिस्सा उनके स्वयं के लिए है और थोड़ा हिस्सा (15-20%) विपणन के लिए ।
निदेशक डॉ. बि.के. दास के नेतृत्व में आईसीएआर-सिफ़री सुंदरबन के ग्रामीण संकटग्रस्त मछली किसानों की आजीविका को सुधारने लिए एससीएसपी/टीएसपी विकास कार्यक्रमों के तहत विभिन्न तकनीकी इनपुट प्रदान कर उनकी अथक सहायता कर रहा है। सिफ़री ने वैज्ञानिक मछली पालन के लिए तकनीकी सहायता के साथ-साथ मछली बीज, मछली चारा, चूना, आदि जैसे इनपुट प्रदान करके कुलतली, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल के 500 मछली किसानों का समर्थन किया और साथ ही सजावटी मछली पालन तकनीक के द्वारा ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाया। इन विकासात्मक गतिविधियों को नवंबर 2021 में 500 मछुआरों के समूह में 32 लाख निवेश से रु. 2.0 करोड़ रुपये की आमदनी कर माननीय प्रधान मंत्री के "किसानों की आय को दोगुना करने" के सपने को साकार करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। तकनीकी सहायता, आवश्यकता-आधारित सलाह के साथ-साथ 3.0 लाख मछली बीज, 52.5 टन मछली फ़ीड और 10.0 टन चूना और 55 सजावटी मछली पालन इकाइयों को 555 लोगों के बीच वितरित किया गया। साथ ही उनके लिए लाइव प्रदर्शन, जन जागरूकता कार्यक्रम और साइट पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई।
दिसंबर 2021 से मई 2022 के छह महीने के अवधि के दौरान यह देखा गया है कि, प्रत्येक परिवार ने रु.10,000-15,000/- में औसतन 100-150 किलोग्राम मछली बेची है, और उनके पास तालाब में अभी भी 60% से अधिक स्टॉक है। इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि कुल 200-300 किलोग्राम मछली का उत्पादन होगा, जिसकी अनुमानित औसत आय रु.22,000-30,000/- हैं । इस क्लस्टर से उनके निजी खपत के अलावा कुल 1.25 करोड़ की आय होने की उम्मीद है। इसी क्रम को जारी रखते हुए 19-06-2022 को कुलतोली में जन जागरूकता सह इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें डॉ. बि. के. दास ने मछली पालकों को वैज्ञानिक मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित किया और मछली पालन पर उनकी शंकाओं का समाधान भी किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कुल लाभ में से, मछुआरों को कुछ पैसे रिवाल्विंग फंड के रूप में अपने स्वयं के उपयोग के लिए रखना चाहिए। इस वितरण कार्यक्रम के दौरान 500 मत्स्य किसानों को 3.00 लाख आईएमसी मछली बीज, 35 टन मछली चारा, 100 मिलीलीटर मछली दवा भी प्रदान की गई। इस कार्यक्रम का संचालन सिफ़री के डॉ. ए. के. दास, डॉ. पी. के. परिदा, सुश्री पी.आर. स्वैन, श्री सुजीत चौधरी, सुश्री एस.भौमिक, डॉ. श्रेया भट्टाचार्य और कुलतोली मिलन तीर्थ सोसाइटी के सदस्यों द्वारा किया गया, और सिफ़री ने कुलतोली मिलन तीर्थ सोसाइटी द्वारा किए गए समर्थन की भी सराहना की।





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