ग्रामीण बंगाल के महिलाओं के लिए सजावटी मछली पालन में नई दिशा दिखाने में आगे आया आईसीएआर-सिफ़री
20 अक्टूबर 2022
माननीय प्रधान मंत्रीजी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए आईसीएआर-सिफ़री ने 22-42 वर्ष की आयु के 30 महिला लाभार्थियों को एक क्लस्टर के रूप में जोड़कर, सजावटी मछली गांव विकसित किया। 19 अक्टूबर, 2022 को धनगंगा कृषि विज्ञान केंद्र, सरगाछी में अनुसूचित जन जातीय उपयोजना कार्यक्रम के तहत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। आईसीएआर-सिफ़री ने एक मिशन के रूप में इसे अपनाया और निरंतर प्रयास से 4 राज्यों में 450 से अधिक लाभार्थियों को ग्रामीण मोर्चे से सहायता प्रदान किया है। विभिन्न केवीके, भारतीय साइंस कांग्रेस एसोसिएशन, रोटरी इंटरनेशनल, रामकृष्ण मिशन, प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों और जिला प्रशासन विशेष रूप से मत्स्य विभाग के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन सरगाछी रामकृष्ण मिशन के प्रमुख स्वामी विश्वमयानंद जी महाराज ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में स्वामीजी ने सजावटी मछली के निर्यात केंद्र के रूप में "मेक इन इंडिया" अवधारणा के लिए माननीय प्रधान मंत्री के सपने को पूरा करने के लिए सभी को जागरूक किया, और बताया कैसे ग्रामीण महिला उद्यमिता छोटे पैमाने पर इस क्षेत्र का नेतृत्व कर सकती है क्योंकि वे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। आईसीएआर-सिफ़री द्वारा लिए गए इस प्रयास से रामकृष्ण मिशन और नए स्थापित केवीके के सहयोग से मत्स्य किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने की कौशिश कर सकते है। इसके अलावा उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी जोर दिया और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे अपने परिवार की भलाई के लिए अपनी रुचि दिखाए और शुरू से लेकर आखिर तक, छोटे और बड़े पैमाने पर 2-3 साल की अवधि के दौरान आपना योगदान अवश्य दे। देश में सजावटी मछली पालन को और आगे बढ़ाने के लिए और बंगाल को सजावटी मछली पालन में नेतृत्व देने के लिए, यह जरूरी हैं। सिफ़री के निदेशक डॉ. बि. के. दास ने अपने उद्घाटन भाषण में पूरे देश में और विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए आईसीएआर-सिफ़री की गतिविधियों के विभिन्न आयामों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय भाषा में मैनुअल तैयार किए गए है ताकि महिला लाभार्थियों को लाभ हो और सजावटी मछली पालन को अपनाने के लिए उनके ज्ञान का उत्थान हो। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम के तहत संस्थान द्वारा सभी प्रकार की प्रारंभिक सहायता प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें सजावटी मछली पालन के सभी पहलुओं, विशेष रूप से जीवित धारकों की देखभाल के बारे में महिला लाभार्थियों को समझाया गया और साथ ही संस्थान द्वारा तैयार किए गए एक वीडियो को दिखाया गया और उनके मोबाइल पर फॉलो करने के लिए भेजा गया। साथ ही, डॉ.श्रेया भट्टाचार्य, रिसर्च असोशीएट द्वारा सभी महिला लाभार्थियों को लाइव प्रदर्शन दिया गया, जिसमें शुरुआत में पानी डालने से लेकर मछली छोड़ने तक, सफाई के लिए उपकरणों का उपयोग, रोग प्रबंधन, मछली को खिलाना, ठंड के झटके से उबरने, पानी के आदान-प्रदान से लेकर सभी प्रक्रियाओं को समझाया गया। सिफ़री द्वारा रू 18,000/- की नि: शुल्क इनपुट (एफआरपी सजावटी मछली टैंक, मछली चारा, दवा, वायुयान,फिटर, जीवित मछली) प्रदान की गई। कार्यक्रम के अंत में स्वच्छता अभियान के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं के लिए एएमआर पर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुजन विश्वास, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, केवीके, डॉ. ए.के. साहू, वरिष्ठ वैज्ञानिक, आईसीएआर-सिफ़री, श्री उदय दास, एसएमएस मत्स्य पालन, केवीके द्वारा किया गया।





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