त्रिपुरा के स्कूलों में सिफ़री के मार्गदर्शन में आयोजित सजावटी मछली पालन को लोकप्रिय बनाने के लिए जागरूकता-सह-इनपुट वितरण कार्यक्रम
17 अप्रैल, 2025
17 अप्रैल, 2025
आईसीएआर-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सिफ़री) ने मत्स्य विभाग (डीओएफ), त्रिपुरा सरकार के सहयोग से 17 अप्रैल, 2025 को त्रिपुरा मत्स्य विकास बोर्ड, कॉलेजटिला, अगरतला, पश्चिम त्रिपुरा के कार्यालय परिसर में जागरूकता सह-इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एक्वेरियम में सजावटी मछली रखने के बारे में त्रिपुरा के विभिन्न स्कूलों में जागरूकता पैदा करना था। कार्यक्रम का उद्घाटन श्री बिस्वजीत शील, माननीय सभापति, पश्चिम त्रिपुरा जिला परिषद, अगरतला ने किया।
कार्यक्रम का आयोजन आईसीएआर-सिफ़री, बैरकपुर के निदेशक डॉ. बि. के. दास; श्री एस. दास, आईएएस, मत्स्य निदेशक, त्रिपुरा सरकार और सिफ़री के गुवाहाटी क्षेत्रीय केंद्र प्रमुख डॉ. एस. के. माझी, के समग्र मार्गदर्शन में किया गया। डॉ. बि. के. दास ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि आईसीएआर-सिफ़री त्रिपुरा के लोगों के बीच एक्वेरियम मछली पालन को लोकप्रिय बनाने के लिए संस्थान के एनईएच कार्यक्रम के तहत त्रिपुरा के 50 स्कूलों को स्टैंड और अन्य इनपुट (सजावटी मछलियां, चारा, एरेटर और सहायक उपकरण) के साथ 50 एक्वेरियम प्रदान कर रहा है। उन्होंने स्कूल अधिकारियों और अन्य अधिकारियों द्वारा एक्वेरियम के वैज्ञानिक प्रबंधन को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। श्री एस. दास ने त्रिपुरा के विभिन्न स्कूलों में एक्वेरियम मछली पालन को लोकप्रिय बनाने के इस अनूठी पहल के लिए आईसीएआर-सिफ़री को धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे आश्वासन दिया कि त्रिपुरा में मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए आईसीएआर-सिफ़री के प्रयासों में त्रिपुरा सरकार का मत्स्य विभाग पूर्ण सहयोग करेगा।
प्रारंभिक टिप्पणी में, डॉ. एस. के. माझी ने भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सजावटी मत्स्य पालन पर जोर देते हुए आईसीएआर-सिफ़री के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी में चल रही शोध गतिविधियों को रेखांकित किया। आईसीएआर-सिफ़री, बैरकपुर के परियोजना वैज्ञानिक डॉ. एस. भट्टाचार्य ने सजावटी मछली पालन और एक्वेरियम प्रबंधन के तकनीकी पहलुओं पर बात की। कार्यक्रम में पश्चिम त्रिपुरा के मत्स्य पालन के उप निदेशक श्री एन.जी. नोआतिया और त्रिपुरा सरकार के मत्स्य पालन के संयुक्त निदेशक श्री ए. देबबर्मा ने भी स्कूलों में एक्वेरियम रखने के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर एक पहल के रूप में, त्रिपुरा के दो जिलों (पश्चिम त्रिपुरा और सिपाहीजाला) के 14 स्कूलों में स्टैंड और इनपुट (सजावटी मछलियां, चारा, एरेटर और सहायक उपकरण) के साथ कुल 14 एक्वेरियम वितरित किए गए। अन्य सहायक उपकरणों के साथ शेष एक्वेरियम (36 संख्या) को आईसीएआर-सिफ़री के सक्रिय सहयोग से अन्य 6 जिलों के विभिन्न स्कूलों में मत्स्य विभाग के अधिकारियों द्वारा वितरित किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के बीच एक्वेरियम रखने और सजावटी मछली पालन में रुचि विकसित करना है।
तकनीकी सत्र में एक्वेरियम की स्थापना पर एक प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद डॉ. बि. के. दास और अन्य वैज्ञानिकों द्वारा स्कूलों के शिक्षकों, मछली पालकों और मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत की गई। पूरे दिन के कार्यक्रम का समन्वयन मत्स्य विकास अधिकारी श्री एस. देबबर्मा, मत्स्य अधीक्षक श्री एच. सरकार और मत्स्य विभाग, त्रिपुरा सरकार के कार्यकारी अधिकारी श्री आर. देबबर्मा ने किया। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षकों, मछली पालकों, मत्स्य अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित कुल 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन आईसीएआर-सिफ़री के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. सी. एस. दास द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।