आईसीएआर-सीआईएफआरआई ने अकईपुर आद्रक्षेत्र सतत मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य प्रग्रहण मेला आयोजित किया
7 मई, 2025

आईसीएआर–केंद्रीय अंतर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (ICAR-CIFRI) ने 7 मई 2025 को उत्तर 24 परगना के अकईपुर आद्रक्षेत्र में एक मत्स्य प्रग्रहण मेला सह जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया। यह पहल आद्रक्षेत्र मत्स्य पालन से जुड़ी एक अहम चुनौती — गुणवत्ता वाले और बड़े आकार के मछली बीज (फिश सीड) की सीमित उपलब्धता — को संबोधित करने के लिए की गई थी, जो मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक है।

इस समस्या से निपटने के लिए ICAR-CIFRI ने अकईपुर आद्रक्षेत्र के सतत विकास हेतु नवोन्मेषी उपायों को अपनाया है। कार्यक्रम के दौरान एक प्रमुख तकनीक पेन एनक्लोजर में स्थानीय स्तर पर मछली बीज उत्पादन (इन-सीटू सीड रेज़िंग) का प्रदर्शन किया गया। यह तकनीक न केवल उच्च गुणवत्ता वाले फिश सीड की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, बल्कि कल्चर-आधारित मात्स्यिकी (CBF) पद्धतियों को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय मछली उत्पादन को भी बढ़ाती है।
इस पहल के तहत ICAR-CIFRI ने पेन कल्चर और CBF तकनीकों के प्रदर्शन को सहयोग देने के लिए कई मत्स्य उपकरण

जैसे CIFRI एचडीपीई पेन, एफआरपी नाव, ICAR-CIFRI कैज ग्रो फीड और गुणवत्ता युक्त मछली बीज वितरित किये। लाबेओ रोहिटा, लाबेओ कतला और लाबेओ बाटा जैसी देशी मछली प्रजातियों के कुल 150 किलोग्राम फिश सीड को वैज्ञानिकों और परियोजना कर्मियों की देखरेख में सह-प्रबंधन मॉडल के तहत पेन एनक्लोजर में डाला गया। यह कार्य ICAR-CIFRI के निदेशक डॉ. बि. के. दास के मार्गदर्शन में किया गया।
चार महीने की पालन अवधि के दौरान, लाबेओ बाटा का आरंभिक आकार 13.12 ग्राम से बढ़कर 47.49±12.41 ग्राम, लाबेओ रोहिटा 41.8 ग्राम से 182.3 ग्राम और लाबेओ कतला 27.17 ग्राम से 239 ग्राम तक पहुंच गया। कुल 375 किलोग्राम मछली की कटाई हुई, जो CBF तकनीक की सफलता को दर्शाता है।

इस आयोजन में एक जागरूकता सत्र भी शामिल था, जिसमें ICAR-CIFRI की वैज्ञानिक टीम ने वेटलैंड संरक्षण, सतत मछली पालन पद्धतियों, और अति-शिकार व प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। 50 से अधिक उत्साही मछुआरों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, फील्ड प्रदर्शन और चर्चाओं में वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मचारियों के साथ संवाद किया। स्थानीय मछुआरों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ICAR-CIFRI के प्रयासों ने उनकी आजीविका में कैसे सकारात्मक बदलाव लाया है।





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