गंगा का पुनर्जीवन: बेलूर में 2.2 लाख मछलियों के बच्चों का नदी में छोड़ा जाना – मछली जैव विविधता की बहाली
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09 मई, 2025
गंगा का पुनर्जीवन: बेलूर में 2.2 लाख मछलियों के बच्चों का नदी में छोड़ा जाना – मछली जैव विविधता की बहाली

आईसीएआर-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सिफरी), बैरकपुर, नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत गंगा नदी के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। राष्ट्रीय रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गंगा में घटती मछली आबादी की भरपाई करना और जलीय जैव विविधता को पुनः स्थापित करना है।
9 मई, 2025 को, आईसीएआर-सिफरी और रामकृष्ण मठ-मिशन, बेलूर ने मिलकर बेलूर घाट पर एक रिवर रैंचिंग कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर भारतीय प्रमुख कार्प प्रजातियों (IMCs) — रोहू (Labeo rohita), कतला (Labeo catla), मृगाल (Cirrhinus mrigala) — की 2.16 लाख उन्नत फिंगरलिंग्स (छोटी मछलियाँ) को गंगा नदी में छोड़ा गया।
इस कार्यक्रम को बेलूर मठ के महासचिव स्वामी सुविरानंदजी महाराज और RKMVERI के उपाध्यक्ष स्वामी शिवपूर्णानंदजी महाराज की पावन उपस्थिति से विशेष गरिमा प्राप्त हुई। उन्होंने नदी की स्वच्छता और सतत मछली पकड़ने की प्रथाओं के महत्व पर बल दिया। इस शुभ अवसर पर सचिव महाराज ने पाकिस्तान की बर्बरता के खिलाफ भारत की कार्रवाई का समर्थन व्यक्त किया और सभी देशवासियों से एकजुट रहने व सरकार के साथ खड़े रहने की अपील की।
कार्यक्रम में 63 स्थानीय मछुआरों ने भाग लिया और उन्होंने आईसीएआर-सिफरी प्रतिनिधियों के साथ जैव विविधता संरक्षण, सतत मछली पकड़ने की तकनीकें और नदी की स्वास्थ्य पर चर्चा की। यह कार्यक्रम पर्यावरणीय स्थिरता को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा विशेष रूप से बेलूर मठ जैसे पवित्र स्थल से जोड़ने का एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास ने कहा, "गंगा नदी के स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय है। मछली भंडार को बेहतर करने के लिए सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना आवश्यक है, जिससे भविष्य में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।"

बेलूर मठ में आयोजित राष्ट्रीय रिवर रैंचिंग कार्यक्रम – चरण III – गंगा नदी के पुनर्जीवन के लिए एकीकृत संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करता है। वैज्ञानिक उपलब्धियों और पारंपरिक मूल्यों के समन्वय से संचालित ऐसे प्रयास पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हैं और समुदाय को नदी से जोड़ते हैं।
आईसीएआर-सिफरी गंगा नदी की पारिस्थितिकीय सेहत को बहाल करने के अपने मिशन के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इसकी समृद्ध जैव विविधता से लाभान्वित होती रहें।
